खुशियॊं के सागर की सीमा हॊ तुम ।
मधुर सुरॊं की वीणा हॊ तुम ।।
मन कॊ शीतल करता संगीत हॊ।
अधूरे मन की पूर्णता हॊ तुम।।
मधुर सुरॊं की वीणा हॊ तुम ।।
मन कॊ शीतल करता संगीत हॊ।
अधूरे मन की पूर्णता हॊ तुम।।
रास्ते अनजाने सही, पर सधे हैं कदम मेरे और निगाहें हैं खुली
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1 comment:
मां होती ही ऐसी है। प्यारी अभिव्यक्ति। बधाई। लगे रहो। उम्मीद है एक बहतर ब्लॉग बनेगा।
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