सहारा ढूंढने वाले हाथ बने सहारा
वे सब 70 के पार हैं। लेकिन थकान का नामोनिशान नहीं। इस उम्र में जब अक्सर लोग सहारे की तलाश करते हैं, ये अपने अनुभव में जोश को मिला कर गरीबों के लिए काम कर रहे हैं। यह कहानी है रोहिणी के सेक्टर-3 में रहने वाले कुछ बुजुर्गों की जो क्लास-वन ऑफिसर रह चुके हैं। रिटायरमेंट के बाद भी कुछ करने के जज्बे को कायम रखते हुए इन्होंने ऐसे बच्चों की जिंदगी को सही नींव देने की सोची, जिनके माता-पिता मजदूरी करते हैं और जिनके लिए बच्चों की पढ़ाई से ज्यादा जरूरी दो वक्त का पेट पालना होता है। रॉ में अफसर रह चुके 75 साल के के. सी. भारद्वाज कहते हैं कि अपने बच्चे पढ़-लिखकर सेटल हो चुके थे तो रिटायरमेंट के बाद ऐसा लगने लगा कि करने को कुछ बचा ही नहीं है। ऐसे में घर में काम करने वाली मेड के बच्चे ने मेरी जिंदगी को नया मकसद दे दिया। दो साल पहले एक दिन वह अपने तीन साल के बच्चे को लेकर आई थी, मैं उसके साथ खेलने लगा और कुछ सवाल पूछ लिए तो उसने जो जवाब दिए उससे लगा कि अगर इन बच्चों को मौका मिले तो ये भी बहुत कुछ कर सकते हैं। फिर मैं उसे रोज घर बुलाने लगा और धीरे-धीरे उसके साथ 5-6 और बच्चे भी आने लगे। मैंने कॉलोनी के अपने कुछ और रिटायर्ड दोस्तों से बात की तो उन्होंने भी साथ मिलकर बच्चों के लिए काम करने की इच्छा जताई। फिर हमने अपने घर को ही प्ले स्कूल की तरह डिवेलप किया। कंप्यूटर, टीवी और एक टीचर की व्यवस्था की। अब दो से चार साल तक के 35 बच्चे यहां आते हैं। रेलवे से रिटायर्ड अधिकारी बी. एम. भाटिया बताते हैं कि ये बच्चे सुबह 10 बजे आते हैं और दोपहर 2 बजे घर जाते हैं। इन्हें नाश्ता, लंच, कपड़े, जूते, पेपर, कॉपी, पेंसिल, कलर, किताबें जैसी पढ़ाई-लिखाई से जुड़ी हर चीज यहीं से मुहैया कराई जाती हैं। इन बच्चों के सारे काम और खर्चों की जिम्मेदारी हम सातों दोस्त मिलकर उठाते हैं और चार साल का हो जाने के बाद बच्चों को स्कूल में एडमिशन दिलाने में भी मदद करते हैं। उनके इस मिशन में सुशीला, कृष्णा, अंशु, मधु और सुरेंद्र भी शामिल हैं।
3 comments:
slaam krta hu aapko tatha aapke zazbe ko....
इन बूढे लोगों के ज़ज्बे को मेरा सलाम....!इन से सीख लेने की जरूरत है....
नीतू शानदार कोशिश की है तुमने। ब्लॉग किसी की बात को पहचाने का बेहतरीन माध्यम है। रिटायरमेंट के बाद बुज़ुर्गों की ये कोशिश इस जज़्बे को ज़िंदा करती है कि जियो और जीने दो।
खूबसूरत ब्लॉग
मुझे पहचाना
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9999109785
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